जन-गण-मन-अधिनायक जय हे भारत भाग्यविधाता!
पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंग
विंध्य हिमाचल जमुना गंगा उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मागे
गाहे तव जयगाथा।
जन-गण-मंगलदायक जय हे भारत भाग्यविधाता!
जय हे,जय हे, जय हे, जय जय जय हे॥
- रवींद्र नाथ ठाकुर
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